शिवपाल ने बेटे आदित्य के लिए की थी ये मांग, अखिलेश की ना पर नहीं बना काम

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Shivpal
Shivpal Yadav with Aditya Yadav

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद से ही घमासान छिड़ा हुआ है। सपा के टिकट पर जीत हासिल कर विधायक बने (Shivpal Yadav) शिवपाल यादव ने इन दिनों सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। जाहिर है कि चाचा शिवपाल यूं ही अपने भतीजे से नाराज़ नहीं हैं, वो अपने बेटे आदित्य (Aditya Yadav) के राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

शिवपाल अपने बेटे आदित्य को चुनाव लड़ाना चाहते थे लेकिन अखिलेश की ना के कारण उनका ये अरमान अधूरा रह गया।
अखिलेश के एक इनकार से बिगड़ी बात

शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने 2022 चुनाव (2022 UP Assembly Elections) के दौरान अपने बेटे आदित्य को अपनी परंपरागत सीट जसवंतनगर सीट (Jaswant Nagar Seat) से चुनाव लड़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे। उन्होंने इसके लिए पूरी तरह भी कर ली थी। शिवपाल ने एक हिन्दी अख़बार को दिए इंटरव्यू में ये बात बताई है कि अखिलेश यादव ने मुझे सिर्फ एक टिकट देने का फैसला किया था। जिसके बाद मैंने जसवंतनगर सीट से आदित्य के लिए टिकट मांगा था। लेकिन अखिलेश की इनकार के बाद शिवपाल ने सपा के टिकट से चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी।

मैं महत्वाकांक्षी होता तो मैं सपा छोड़ देता- शिवपाल

शिवपाल (Shivpal Yadav) ने इंटरव्यू में कहा कि मैंने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा है। जब वह (अखिलेश) मेरे घर आए तो मैंने उनसे कहा कि मैं सपा के टिकट पर चुनाव लड़ूंगा न कि गठबंध सहयोगी के तौर पर। अगर मैं महत्वाकांक्षी होता तो मैं सपा छोड़ देता (जब मुझे एक टिकट दिया गया ), मैं जिस सीट पर चुनाव लड़ा वहां सपा को सबसे ज्यादा वोट वोट मिले थे और मेरी जीत का अंतर सबसे ज्यादा था। और इन सबके बाद मुझे सपा विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया गया।

परिवार के दबाव के कारण लड़ा सपा से चुनाव

हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने सबकुछ बर्दाश्त करते हुए चुनाव लड़ा। क्योंकि उनपर यादव परिवार और चुनाव का दबाव था। लेकिन अब चुनाव खत्म हो चुके हैं और सरकार भी भाजपा की बनी है। ऐसे में शिवपाल नई राजनीतिक संभावनाएं अपने और अपने बेटे के लिए तलाश रहे हैं। यही कारण है कि वो बीजेपी से भी अपनी नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। यहां तक की आजम यादव को भी साध रहे हैं।

बड़े भाई मुलायम के कहने पर चुनाव के दौरान अपनी पार्टी को दांव पर लगाकर यादव परिवार में एकता बनाए रखने के लिए शिवपाल सपा के साथ आ गए थे। अखिलेश को अपना नेता माना। परिवार में एकता के नाम पर शिवपाल सबकुछ सहते रहे। लेकिन सबसे बड़ा झटका शिवपाल को तब लगा जब अखिलेश ने उन्हें अपना विधायक ना मानते हुए विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया।

रखी थी 100 सीटों की डिमांड, नहीं पूरी हुई एक भी मांग

शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने गठबंधन के तहत 100 सीटों की डिमांड रखी थी लेकिन धीरे-धीरे सीटें घटकर 35 पर आ गई। लेकिन फिर भी बात नहीं बनी तो शिवपाल ने अपने 25 विधायकों के नाम की सूची अखिलेश के सामने रखी और कहा कि इनमें से जो भी जिताऊ हों, उन्हें टिकट दे दें। लेकिन अखिलेश ने इनमें से किसी को भी सपा से टिकट नहीं दिया। जिसके बाद शिवपाल जसवंत नगर सीट से खुद चुनाव लड़ने उतरे क्योंकि बेटे आदित्य के नाम पर भी अखिलेश ने सहमति नहीं जताई।

भतीजे के बर्ताव के कारण खोला सपा के खिलाफ मोर्चा

अखिलेश की ओर से शिवपाल यादव को कभी सपा के विधायक के तौर पर ट्रीट ही नहीं किया गया। एक केवल शिवपाल ही थे जिन्हें इस बाप सपा से टिकट दिया गया था। लेकिन शिवपाल के सभी अरमान धराशाही हो गए।

अखिलेश के खिलाफ, आज़म के साथ

वहीं इन सारी घटनाओं के बाद से शिवपाल ने सपा के खिलाफ मोर्चा खोला है। इसी कड़ी में वो बीजेपी नेताओं समेत CM योगी से भी मुलाकात कर चुके हैं। इस बात से भी वाकिफ हैं कि आजम खान भी अखिलेश से नाराज़, जिनकी नाराज़गी को कैश कराने के पूरे मूड में हैं। शिवपाल ने सीतापुर जेल जाकर करीब आधे घंटे तक आज़म खान से मुलाकात की और अखिलेश और मुलायम पर निशाना साधा। साथ ही कहा कि सपा ने आज़म खान को जेल से बाहर निकालने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। आज़म खान के उत्पीड़न के खिलाफ भी राज्यसभा और लोकसभा में कहीं पर भी आवाज़ नहीं उठाई।

बेटे आदित्य के लिए खोज रहे हैं सियासी भविष्य

आदित्य यादव अपने पिता शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) के सियासी वारिस हैं। आदित्य इटावा के जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष 28 सितंबर 2021 में बने हैं। जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष तौर पर शिवपाल यादव साल 1988 से लगातार काबिज रहे। लेकिन भाजपा सरकार में लाए गए नए नियम के तहत 33 साल बाद शिवपाल को इस पद से हटना पड़ा। जिला सहकारी बैंक (District Cooperative Bank) के अध्यक्ष बनने के बाद से अटकलें थी कि जसवंतनगर सीट से अब पिता की जगह बेटे चुनाव लड़े लेकिन अखिलेश इस बात पर राजी नहीं हुए।

शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य यावद (Aditya Yadav) का सियासी भविष्य यूपी की राजनीति में सुरक्षित करना चाहते हैं। गौरतलब है कि बेटे के लिए वो किसी भी हद तक जाने की कोशिशें करेंगे। लेकिन अब देखना होगा कि शिवपाल अपनी कोशिशों में कितने सफल होते हैं।

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