लखनऊ : हमारे देश की राजनीति में ‘वंशवाद’ नाम का शब्द अक्सर चर्चा में रहता है। कभी टीवी चैनलों पर आपने सुना होगा तो अभई नेताओं के भाषण में। देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों में एक कांग्रेस पर आज तक यह आरोप लगते आ रहे हैं तो वहीँ दूसरी तरफ यूपी के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार यानी सपा पर भी कुछ ऐसे ही आरोप लगाए जाते हैं।
सपा का इतिहास देखें तो पूरी पार्टी ‘यादव परिवार’ के इर्द गिर्द ही घूमती हुई नज़र आती है जिसके कारण कई बार वह अन्य पार्टियों के निशाने पर होते हैं।
यादव परिवार में कितना है ‘वंशवाद’ ?
अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह जानने की कोशिश करते हैं। वंशवाद के आरोप सपा पर अक्सर लगते रहे हैं। सबसे पहली बात यह कि समाजवादी पार्टी यूपी की सबसे बड़ी पार्टी है और परिवार का हर सदस्य किसी न किसी पद पर बैठा या कोई बड़ी ज़िम्मेदारी संभाल चुका है। सपा की चौथी पीढ़ी भी राजनीति में सक्रिय है।
पार्टी में मुलायम सिंह यादव और Akhilesh Yadav दोनों लोग मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के संस्थापक हैं। मुलायम सिंह यादव पेशे से शिक्षक थे और अपने लम्बे राजनीतिक सफर में वह तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे।
शिवपाल ने क्यों किया सपा से किनारा ?
मुलायम सिंह यादव के अलावा उनके छोटे भाई Shivpal Singh Yadav भी राजनीति में सक्रिय और बेटे अखिलेश से तनातनी के बाद अपनी अलग पार्टी बना चुके हैं। बताया जाता है कि शिवपाल सिंह यादव अपने बड़े भाई के बाद पार्टी की कमान संभालना चाहते थे लेकिन ऐसा न हो सका। इसके बाद उन्होंने सपा से अलग होने का फैसला लिया।
शिवपाल सिंह यादव के अलावा मुलायम सिंह यादव के चहेरे भाई रामगोपाल यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं। इसके अलावा यादव परिवार के जो अन्य नाम जो राजनीति में सक्रिय हैं या किसी पद पर रहे हैं उनमें अखिलेश यादव की पत्नी Dimple Yadav, धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव, अक्षय यादव, अपर्णा यादव, अंशुल यादव और आदित्य यादव शामिल हैं।
2022 चुनाव में क्या कमाल करेंगे अखिलेश ?
यूपी में समाजवादी पार्टी की अच्छी पकड़ है और शिवपाल यादव के अलग होने के बाद भी पार्टी का अच्छा रसूख है। पार्टी और परिवार से जुड़े सभी लोग राजनीति में सक्रिय यहीं और विरोध के बावजूद पार्टी को आगे बढ़ाने की कोशिश करते रहते हैं।
आपको बता दें मुलायमसिंह यादव अब ख़राब स्वास्थ के कारण राजनीति में बहुत सक्रिय नहीं हैं लेकिन बेटे अखिलेश को उनका पूरा समर्थन है। आगामी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव की दावेदारी काफी मजबूत है… अब यह देखने वाली बात होगी की पिता की विरासत को अखिलेश कैसे आगे बढ़ाते हैं ?