नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल को संसद में पेश करने की पूरी तैयारी कर ली है। गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल को पेश करेंगे। इस बिल का विपक्षी पार्टियां लगातार विरोध कर रही है। इसी बीच बिल को लेकर शिवसेना ने कई सवाल खड़े किए हैं।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में मोदी सरकार को बिल में कुछ बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है। इसके साथ ही शिवसेना ने बिल पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कहीं ये बिल वोट बैंक की राजनीति के लिए तो पेश नहीं किया जा रहा है। अगर ऐसा है तो ये देश के लिए ठीक नहीं है।
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सामना में लिखा गया है कि हम मानते हैं कि हिंदुओं के लिए केवल भारत ही एक देश है, लेकिन अगर दूसरे देशों में अत्याचार झेल रहे हिंदुओं को सरकार वोटबैंक की राजनीति के लिए भारतीय नागरिकता देगी तो ये देशहित में नहीं होगा। ऐसे में हमारी मांग है कि जिन बाहरी लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी उन्हें 25 वर्षों तक वोट करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए।
इसके साथ ही शिवसेना की ओर से सामना में कहा गया कि जिन देशों में रह रहे हिन्दुओं, पारसी, इसाइयों, सिखों और जैन धर्मों के लोगों के साथ अत्याचार हो रहा है, वहां की सरकारों से पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को अपनी सख्त छवि का इस्तेमाल करते हुए बात करनी चाहिए और अत्याचारों को रोकना चाहिए।