आशा देवी को याद आई निर्भया, कहा- छोटी-छोटी पर्चियों से सुनाती थी अपनी पीड़ा

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दिल्ली। निर्भया के चारों आरोपियों को शुक्रवार सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में 5:30 बजे फांसी दे दी गई है। मेडिकल ऑफिसर ने चारों आरोपियों को मृत घोषित कर दिया और उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए दीन दयाल अस्पातल में ले जाया गया है। लंबे इंतेजार के बाद आखिरकार निर्भया को इंसाफ मिला जिसे आज पूरा देश निर्भया दिवस के रूप में मना रहा है।

इस मामले में निर्भया की मां ने रोते हुए बताया कि आज से 7 साल 3 महीने और 3 दिन पहले 16 दिसंबर 2012 की रात देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस के दौरान निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। उस दौरान निर्भया असहनीय पीड़ा से गुजर रही थी, धीरे-धीरे उसके शरीर के अंग काम करना बंद कर रहे थे, सांस लेने में दिक्कत आने लगी थी, लेकिन वह अपना हौंसला बनाए रखा।Image result for रोते हुए निर्भया की मां

आशा देवी ने आगे बताया कि निर्भया छोटी-छोटी पर्चियों पर अपनी बात लिखकर डॉक्टर और मुझे देती थी। वो अपनी तकलीफ और दर्द इन्ही पर्चियों में बताती थी। बेशक हम अपनी बेटी को नहीं बचा पाए लेकिन आज हमने अपनी बेटी को इंसाफ दिलाया है।

19 दिसंबर 2012 को क्या हुआ
आशा देवी ने रोते हुए आगे बताया कि मां मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मुझे याद आ रहा है कि आपने और पापा ने बचपन में पूछा था कि मैं क्या बनना चाहती हूं, तब मैंने आपसे कहा था कि मैं फिजियोथेरेपिस्ट बनना चाहती हूं, मेरे मन में एक ही बात थी कि मैं किस तरह लोगों का दर्द कम कर सकूं, आज मुझे खुद इतनी पीड़ा हो रही है कि डॉक्टर या दवाई भी इसे कम नहीं कर पा रहे हैं, डॉक्टर पांच बार मेरे छोटे-बड़े ऑपरेशन कर चुके हैं लेकिन दर्द है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा।Image result for निर्भया के साथ आशा देवी

21 दिसंबर 2012 को क्या हुआ
निर्भया ने कहा मैं सांस भी नहीं ले पा रही हूं। डॉक्टरों से कहो मुझे एनीथिस्यिा न दें, जब भी आंखे बंद करती हूं तो लगता है कि मैं बहुत सारे दंरिदों के बीच फंसी हूं, जानवर रूपी ये दरिंदे मेरे शरीर के एक-एक अंग को नोच रहे हैं, बहुत डरावने हैं ये लोग, भूखे जानवर की तरह मुझ पर टूट पड़े हैं, मेरे को बुरी तरह रौंद डालना चाहते हैं, मां मैं अभी अपनी आंखे बंद नहीं करना चाहती, मेरे आस-पास के सभी शीशे तोड़ डालो, मुझे बहुत डर लग रहा है, मैं अपना चेहरा नहीं देखना चाहती,

22 दिसंबर 2012 को क्या कहा
मां मुझे नहला दो, मैं नाहना चाहती हूं, मैं सालों तक शॉवर के नीचे बैठे रहना चाहती हूं, उन जानवरों की गंदी छुअन को धोना चाहती हूं जिनकी वजह से मैं अपने ही शरीर से नफरत करने लगी हूं, मैंने कई बार बाथरूम जाने की कोशिश भी की, लेकिन पेट की तकलीफ की वजह से उठ ही नहीं पा रही हूं, मेरे शरीर में इतनी शक्ति नहीं है कि मैं सिर उठाकर आईसीयू के बाहर शीशे के पार खड़े अपने को देख सकूं, मां आप मुझे छोड़कर मत जाना, अकेले डर लगता है, जैसा की आप जाती हैं मेरी धड़कन बढ़ जाती है और मैं आपकों तलाशने लगती हूं।Image result for निर्भया के साथ आशा देवी

23 दिसंबर 2012 को क्या हुआ
मां ये चिकित्सीय उपकरणों की आवाज मुझे बार-बार ऐसे ट्रैफिक सिग्नल की याद दिलाते हैं जिसके तहत वाहन आवाजें कर रहे हैं, लेकिन कोई रुकने का नाम नहीं ले रहा। इसी आवाज में मैं चीख रही हूं, मदद मांग रही हूं, लेकिन कोई नहीं सुन रहा, इस कमरे की शांति मुझे उस रात की ठंड को याद दिलाती है जब उन जानवरों ने मुझे सड़क पर फेंक दिया, मां आपको याद है एक बार पापा ने मुझे थप्पड़ मार दिया था और आप पापा से लड़ने लगी थीं, मां पापा कहां हैं, वो मुझसे मिलने क्यों नहीं आ रहे, वो ठीक तो हैं, उन्हें कहना वह दुखी ना होंImage result for निर्भया के साथ आशा देवी

25 दिसंबर 2012 क्या हुआ
मां आपने मुझे हमेशा मुश्किलों से लड़ने की सीख दी है, मैं इन जानवरों को सजा दिलाना चाहती हूं, इन दंरिदों को ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता, वहशी हैं ये लोग, इनके लिए माफी का सोचना भी भूल होगी, इन्होंने मेरे दोस्त को भी बुरी तरह पीटा, जब वह मुझे बचाने की कोशिश कर रहा था, मेरे दोस्त ने मुझे बचाने की बहुत कोशिश की, वह भी बहुत जख्मी हुआ, अब कैसा है वो?Image result for निर्भया के साथ आशा देवी

26 दिसंबर 2012 को क्या हुआ
मां मैं बहुत थक गई हूं, मेरा हाथ अपने हाथ में ले लो, मैं सोना चाहती हूं, मेरा सिर मां आप अपने पैरों पर रख लो, मां मेरे शरीर को साफ कर दो, कोई दर्द निवारक दवाई भी दे दो, पेट का दर्द बढ़ता ही जा रहा है, डॉक्टरों से कहो अब मेरे शरीर का कोई और हिस्सा ना काटें, यह बहुत पीड़ादायक होता है, मां मुझे माफ कर देना, अब मैं जिंदगी से और लड़ाई नहीं लड़ सकती।

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