ज्ञानवापी (Gyanvapi) मामले को लेकर चल रही सुनवाई में दोनों पक्ष अपने अपने दावे पेश कर चुके हैं। निचली अदालत में सुनवाई के बाद अब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है, जहाँ तीन जजों की बेंच ने इस पर सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को वाराणसी (Varanasi) जिला अदालत में वापस ट्रांसफर कर दिया है। इसके आलावा सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने यह भी कहा है कि मस्जिद में नमाज़ जारी रहेगी और बजू करने का जल्द से जल्द इंतेज़ाम किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने इसको ट्रांसफर करते हुए कहा है कि हम जिला जज पर सवाल नहीं उठा सकते, उन्हें 25 सालों का अनुभव है। इसके आलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 17 मई को लागू किया गया आदेश 17 जुलाई तक ही लागू होने के बाद इस मामले की शीर्ष अदालत में सुनवाई की जाएगी।
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court)ने कहा कि ये जटिल सामाजिक समस्याएं हैं, जिसमें मनुष्य द्वारा किया गया कोई भी फैसला सटीक नहीं हो सकता। हमारा आदेश इस बात पर था कि शांति व्यवस्था भांग न हो। यह काम भी अंतरिम आदेश के द्वारा हो सकता है। हम देश की एकता और सम्प्रभुता के लिए एक संयुक्त मिशन पर हैं। इसके अलावा रिपोर्ट लीक होने के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एक बार यहां रिपोर्ट आ जाए तो फिर वह सेलेक्टिव तौर पर लीक नहीं हो सकती।
प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट के दायरे में नहीं यह मामला-हिन्दू पक्ष
हिंदू पक्ष ने कहा कि यह मामला 100 साल से भी पुराना है और यह 1991 के ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट’ के दायरे में नहीं आ सकता। ऐसे में इस केस की सुनवाई और सर्वे के लिए कोर्ट कमिशन के गठन पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता।
लीक कैसे हो गई सर्वे रिपोर्ट-मुस्लिम पक्ष
सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने कई सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि आखिर सर्वे रिपोर्ट लीक कैसे हुई। इसके अलावा मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने सर्वे के लिए कोर्ट कमिशन के गठन को भी असंवैधानिक करार देते हुए ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का सुझाव दिया। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ (Justice Chandrachud) ने कहा कि जिला जज के फैसले पर सवाल नहीं उठा सकते उनके पास 25 साल का लंबा अनुभव है और उन्हें सुनवाई करने देना चाहिए। बेंच ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि शांति, सौहार्द और भाईचारा बना रहे।