Delhi: शिवसेना (Shivsena) के मुखपत्र ‘सामना’ (Saamana) ने संपादकीय में ‘विवाद माफियाओं का पेटदर्द’ शीर्षक के जरिए कंगना रनौत (Kangana Ranaut) पर निशाना साधा है। मुखपत्र ‘सामना’ में मुंबई की तुलना ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ से करने और महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाने ‘पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर’ करने का उदाहरण दिया है। सामना में कंगना पर निशाना साधते हुए लिखा, ‘पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं किया जाता या खुद कांच में रहकर दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका जाता। जिन्होंने फेंका उन्हें मुंबई और महाराष्ट्र का श्राप लगा। मुंबई को कम आंकना मतलब खुद ही खुद के लिए गड्ढा खोदने जैसा है। महाराष्ट्र संतों-महात्माओं और क्रांतिकारियों की भूमि हे। हिंदवी स्वराज्य के लिए, स्वतंत्रता के लिए और महाराष्ट्र के निर्माण के लिए मुंबई की भूमि यहां के भूमिपूत्रों के खून और पसीने से नहाई है।’
पूर्व अधिकारी की पिटाई मामले में शिवसेना के 6 कार्यकर्ता गिरफ्तार
इसमें (Saamana) आगे लिखा, ‘स्वाभिमान और त्याग मुंबई के तेजस्वी अलंकार हैं। औरंगजेब की क्रम संभाजीनगर में और प्रतापगढ़ में अफजल खान की क्रब सम्मानपूर्वक बनाने वाला यह विशाल ह्रदय वाला महाराष्ट्र है। इस महाराष्ट्र के हाथ में छत्रपति शिवाजी महाराज ने भवानी तलवार दी। बालासाहेब ठाकरे ने दूसरे हाथ में स्वाभिमान की चिंगारी रखी। अगर किसी को ऐसा लग रहा हो कि उस चिंगारी पर राख जम गई है तो एक बार फूंक मार कर देख ले! मुंबई पाक अधिकृत कश्मीर है कि नहीं, यह विवाद जिसने पैदा किया, उसी को मुबारक। मुंबई के हिस्से में अक्सर यह विवाद आता रहता है। लेकिन इन विवाद माफियाओं की फिक्र न करते हुए मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित है।’
ड्रग्स केस में 25 बॉलीवुड हस्तियां शामिल, NCB ने शुरु की जांच
मुंबई की तुलना पीओके से करने पर ‘सामना’ में लिखा, ‘शिवसेना प्रमुख हमेशा घोषित तौर पर कहते थे कि देश एक है और अखंड है। राष्ट्रीय एकता तो है ही लेकिन राष्ट्रीय एकता का ये तुनतुना हमेशा मुंबई महाराष्ट्र के बारे में ही क्यों बजाया जाता है? राष्ट्रीय एकता की ये बातें अन्य राज्यों के बारे में क्यों लागू नहीं होती? जो आता है वही महाराष्ट्र को राष्ट्रीय एकता सिखाता है।’ बता दें कि पहले भी मुखपत्र सामना के संपादकीय में कंगना को बेईमान, देशद्रोही और मानसिक विकृत बताया गया। और मोदी सरकार को देशद्रोही को सुरक्षा देने की बात कही गई थी। साथ ही पत्रकारों को भी देशद्रोही बताकर हरामखोर कहा गया था।