Shardiya Navratri Day 6: 26 सितंबर को हिंदुओं के प्रमुख त्योहार नवरात्रि का शुभारंभ हुआ था। नवरात्रि नौ दिन का त्योहार होता है। इन नौ दिनों में दुर्गा माता नौ रूपों में प्रकट होती है और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। वहीं 1 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का छठवां दिन है। इस दिन माता कात्यायनी (Mata Katyayani) की पूजा अराधना की जाती है। धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक, माता कात्यायनी को भगवान ब्रह्मा (Lord Brahma) की मानस पुत्री माना गया है। बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में माता कात्यायनी को छठ मैया के नाम से भी जाना जाता है।
बता दें कि माता कात्यायनी की पूजा अराधना से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। माता कात्यायनी का स्वरूप अत्यधिक सुंदर है। वहीं भक्तों को भविष्य में आने वाली परेशानियों पर भी विज्य प्राप्त होता है। आइए आपको बताते है कि माता कात्यायनी की पूजा विधि, स्वरूप और मंत्र से भक्तों को कैसे होता है लाभ-
मां कात्यायनी का स्वरूप
धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक, माता कात्यायनी का स्वरूप सोने की तरह चमकीला होता है। माता कात्यायनी के चार हाथ होते है। बता दें कि माता कात्यायनी के हर हाथ में उनका शस्त्र होता है। देवी कात्यायनी ने अपने चारों हाथों में तलवार, कमल, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण किया है। वहीं माता कात्यायनी को लाल रंग बेहद पसंद होता है। शास्त्रों के अनुसार, महर्षि कात्यायन की गहरी तपस्या के बाद माता कात्यायनी ने जन्म लिया था।
माता कात्यायनी की पूजा विधि
नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी के नाम होता है। इस दिन सबसे पहले सुबह उठ कर स्नान करें और अपना ध्यान लगाएं। इसके बाद कलश स्थापित कर लें। फिर माता कात्यायनी और माता दुर्गा की पूजा करें। पूजा प्रारंभ होने से पहले हाथ में फूल लेकर मां कात्यायनी और मां दुर्गा का स्मरण करें। फिर वो फूल मां को अर्पित कर दें। उसके बाद मा को 16 श्रृंगार के साथ साथ फूल, कुमकुम, अक्षत और मिठाई भी चढ़ाएं। ऐसा करने से माता बेहद खुश होती हैं। फिर माता की पूजा करते समय माता को शहद चढ़ाएं। इसके बाद आप घी के दीपक जलाकर माता कात्यायनी की आरती करें। बता दें कि आरती से पहले मां दुर्गा का पाठ करना ना भूलें।
इन मंत्रों से करें मां को खुश
- या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
- चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना, कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि ।।