Rajasthan: आधुनिक युग में बच्चों को डिजिटली पढ़ाने के लिए आज कल वर्चुअल क्लास के द्वारा पढ़ाई कराई जा रही है, तो वहीं इसके विपरीत एक खबर राजस्थान से आई है, जिसको पढ़ कर आपको अपने जमाने में की गई पढ़ाई याद आ जाएगी. जब पीठ पर थैला डाले हम कई किलोमीटर साइकिल, पैदल या टैंपों के पीछे लटक कर स्कूल जाते थे. ऐसी ही एक स्टोरी बाड़मेर से है जहां बच्चे नहीं बल्कि मास्टर साहब ऊंट पर बैठकर बच्चों को पढ़ाने आते है जोकि आज कल चर्चा का विषय बना हुआ है।
बाड़मेर जिले में भीमथल सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य रूप सिंह जाखड़ और उनके शिक्षक रेगिस्तान के सुदूर गांव-ढाणियों के बच्चों को पढ़ाने के लिए ऊटों पर सवार होकर लंबा सफऱ कर रहे हैं। रूप सिंह और उनकी टीम की शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने सराहना की है।
इतना ही नहीं, यह टीम बच्चों को शिक्षण सामग्री भी मुहैया करा रही है सोशल मीडिया पर इस टीम के काफी ज्यादा चर्चे हैं। वहीं छात्रों में भी पढ़ाई को लेकर भाऱी उत्साह देखने को मिल रहा हैं एक छात्र ने बताया,’हमारे यहां नेटवर्क नहीं आता इसलिए हमारे गुरूजी ऊंट पर सवार होकर हमें यहां पढ़ाने आते हैं।”
वहीं राजस्थान शिक्षा विभाग के निदेशक सौरव स्वामी का कहना है कि ‘हमारे यहां करीब 85 लाख छात्र हैं लेकिन इनमें से 35 लाख छात्रों के पास फोन है. इसलिए हमने निर्णय लिया कि कक्षा 1 से 12वीं के बच्चों को शिक्षक घर-घर जाकर होम वर्क देंगे। इसी होम वर्क से बच्चों का मूल्यांकन किया जाएगा’।