Covid-19 के नए वैरिएंट ‘ओमीक्रॉन’ से बचने के लिए अपनाये ये पांच उपाए

ओमीक्रॉन वायरस से 60 से 80 प्रतिशत आबादी इस वायरस से संक्रमित है। दक्षिण अफ्रीका में इससे बचने के लिए उपाए लगाए गए लेकिन सभी असफल रहे है।

0
430
Coronavirus
Covid-19 के नए वैरिएंट 'ओमीक्रॉन' से बचने के लिए अपनाये ये पांच उपाए

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”यह खबर सुनें”]

Corona New Variant: कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रॉन ने कल ही दुनिया भर में दस्तक दिया है। पूरा देश इसके प्रति एक्टिव भी हो गया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो समीक्षा बैठक बैठाई जिसमें इस नए वेरिएंट से निपटने के लिए और इससे बचाओ के लिए नए उपाए बताये है।

कोरोना का ये नया वैरिएंट दक्षिण अफ्रीका में पाया गया है। उसके बाद ये ब्रिटेन में भी पहुँच गया है। इसको देखते हुए कई देशों में यात्रा प्रतिबन्ध भी लगाया गया है। ओमीक्रॉन बहुत ही खतरनाक वायरस है और ये आने वाले समय में कोरोना की दूसरी लहर से बह खतरनाक होगा। वायरस के नए स्वरूप की पहचान बी.1.1.529के तौर पर की गयी है।

‘ओमीक्रॉन’ से कैसे बचा जायें ?

  1. बता दें की ओमीक्रॉन वायरस से 60 से 80 प्रतिशत आबादी इस वायरस से संक्रमित है। दक्षिण अफ्रीका में इससे बचने के लिए उपाए लगाए गए लेकिन सभी असफल रहे है। बता दें की इस वायरस से लोगों की आर्थिक स्तिथि भी ख़राब हो गयी है और साथ ही बहुत सी कीजोंपर बैन लगा दिया है जिससे लोगों को परेशानी हो रही है।
  2. इस वायरस का संक्रमण ज़्यादा न फैले इसलिए सभी देश की यात्रा पर बैन लगा दिया गया है जिसपे दक्षिण अफ्रीका ने नाराज़गी जताई है। जो की नहीं होना चाहिए था ऐसा मानना है की यात्रा पर बैन लगाने से वायरस काम नहीं होगा। ये मानना बचकाना होगा की अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर बैन लगाने से वायरस का प्रसार काम होगा।
  3. ऐसे नियमों की घोषणा नहीं करें जो स्थानीय संदर्भ में लागू नहीं किए जा सकें, और ऐसा नहीं दिखांए कि लोग उन्हें मानेंगे। इनमें शराब की बिक्री शामिल है क्योंकि पुलिस इसकी कालाबाजारी रोकने में असफल होगी।
  4. जो कमज़ोर है या ज्यादा खतरे वाले जल्दी संक्रमित होते है उनके दिखने में देरी न करें। सरकारों द्वारा 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को दो खुराक के बाद फाइजर टीके की तीसरी खुराक दी जानी चाहिए। जो कैंसर से पीड़ित है या कसी अन्य बीमारी से उनपे भी ख़ास ध्यान दिया जाए।
  5. पहली पीढ़ी के टीके कोविड-19 के गंभीर मामलों के लिए प्रभावी है लेकिन हल्के लक्षण वालों की रक्षा में कम एंटीबॉडी के स्तर या वायरस के नए स्वरूप के मामले में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। टीकाकरण से संक्रमण दर काफी होगी जो मायने रखता है लेकिन हमारे जीवनकाल में ‘सामुदायिक प्रतरोधक’ क्षमता प्राप्त करना शायद संभव नहीं है।

ऐसे में हमें यह बात करनी चाहिए कि कैसे हम वायरस के साथ रह सकते हैं। ऐसे कार्यों की भी सूची है जिन्हें ओमीक्रोन स्वरूप के मद्देनजर किया जाना चाहिए भले ही यह डेल्टा स्वरूप का स्थान लेता हो या नहीं .

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here