New Delhi: कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के (Covaxin Corona Vaccine) तीसरे चरण का ट्रायल गुरुवार को यानी 26 नवंबर को नई दिल्ली स्थित एम्स (All India Institute Of Medical Sciences) में शुरू हो गया है। ‘कोवैक्सीन’ की पहली ड़ोज एम्स की न्यूरोसाइंस सेंटर की चीफ डॉक्टर एम.वी. पद्म श्रीवास्तव और तीन अन्य लोगों को भी दी गई। इस कोरोना वैक्सीन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर तैयार किया है।
अगले कुछ दिनों में कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के दौरान एम्स में करीब 15 हजार लोगों को वैक्सीन की यह ड़ोज दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक वैक्सीन (Covaxin Corona Vaccine) के 0.5ml की पहली ड़ोज चार वालेंटियर्स को दी गई है। उन्हें दो घंटे तक निरीक्षण में रखा गया और अगले कुछ दिनों तक उन सभी लोगो की खास निगरानी की जाएगी।
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डॉक्टर श्रीवास्तव ने कहा, “कोवैक्सीन पहली स्वदेशी निर्मित कोरोना वैक्सीन है और यह सबसे ऊपर है। मेरा इंस्टीट्यूट इस ट्रायल में भागीदारी कर रहा है। मुझे खुशी है कि सबसे पहले वालेंटियर के तौर पर इस वैक्सीन की पहली खुराक दी गई। मैं बिल्कुल ठीक हूं और काम कर रही हूं।”
कोवैक्सीन की यह ड़ोज 18 वर्ष या उससे ऊपर के लगभग 28,500 लोगों को ही दी जाएगी। इसका ट्रायल (Third Phase Trial Start) कम से कम 10 राज्यो में 25 जगहों पर किया जाएगा। कुछ जगहों पर ट्रायल शुरू हो चुका है। भारत बायोटेक के वैक्सीन की तीसरे चरण के ट्रायल के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से इजाजत मिल गई है।
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कोरोना कोवैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के ट्रायल का डेटा ड्रग कंट्रोलर को पहले ही दिया जा चुका है। हैदराबाद स्थित बायोटेक कंपनी ने तीसरे चरण के ट्रायल के लिए आवेदन ड़ालते हुए कहा था कि इस वैक्सीन की ड़ोज का सभी आयु वर्ग के लोगों में बेहतर नतीजे दिखे हैं और अब तक किसी भी तरह की नुकसान की खबर नहीं मिली है।
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