कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस संसदीय रणनीति समूह की बैठक हुई है। इस बैठक में आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति पर चर्चा हुई। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2019 में मिली करारी शिकस्त के बाद काफी वक्त तक कांग्रेस में उथल-पुथल का दौर जारी रहा।
चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफा दिया था, जिसके बाद पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया। सोनिया गांधी को पार्टी की कमान ऐसे वक्त में मिली है, जब पार्टी की स्थिति इतनी खराब है कि किसी भी चुनाव में अपनी साख नहीं बचा पा रही है।
उल्लेखनीय है कि मोदी लहर में लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के उस समय के अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी को भी नहीं बचा सके थे। हालांकि, राहुल गांधी दो सीटों (अमेठी और वयनाड) चुनाव लड़े थे, जिसमें वयनाड सीट पर उन्होंने जीत दर्ज की थी।
सोनिया गांधी लगातार मृत पड़ी कांग्रेस में जान फूंकने की कोशिश कर रहीं हैं। वह बीजेपी से मुकाबला करने के लिए रणनीति तैयार कर रही हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस संसदीय रणनीति समूह की सोनिया गांधी के आवास पर बैठक हुई है। इस बैठक में आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति पर चर्चा हुई। कांग्रेस पार्टी आर्थिक मंदी के मुद्दे पर 30 नवंबर को रामलीला मैदान में रैली करने जा रही है।
Delhi: Congress party to hold a rally at Ramlila Maidan on November 30 on the issue of economic slowdown. https://t.co/mFaYjYrxWw
— ANI (@ANI) November 16, 2019
देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है। इसके लिए पार्टी ने सरकार के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन का ऐलान किया है। राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार को निशाना बन रहे हैं। आर्थिक मुद्दों पर वह केंद्र सरकार से सवाल पूछ रहे हैं।
बीते रोज शुक्रवार को राहुल गांधी ने प्रति व्यक्ति द्वारा खर्च की औसत राशि में गिरावट से जुड़ी खबर को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा। गांधी ने आरोप लगाया कि ‘मोदीनॉमिक्स’ ने इस कदर नुकसान कर दिया है कि अब सरकार को अपनी ही रिपोर्ट छिपानी पड़ रही है।
राहुल ने जिस रिपोर्ट का हवाला दिया उसमें राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े का हवाला देते हुए कहा गया है, ”भारत में 2011-12 में एक व्यक्ति द्वारा खर्च की गई औसत राशि 1501 रुपये थी, जो 2017-18 में 3.7 फीसदी की गिरावट के साथ 1446 रुपये हो गई।”