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Breakthrough Infection: भारत में कोरोना के ब्रेकथ्रू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना के डेल्टा ब्रेकथ्रू के मामले सामने आ रहे हैं। वैक्सीन कोरोना को पूरी तरह खत्म करने में कारागार तो नहीं लेकिन फिर भी इसके अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
क्या है ब्रेकथ्रू संक्रमण
कोरोना वैक्सीन के बाबजूद अगर कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है तो उसे ब्रेकथ्रू संक्रमण का नाम दिया जाएगा। भारत में ब्रेकथ्रू के मामलों में इजाफा हो रहा है। वैक्सीनेशन के बाद भी लोग तेजी से इसका शिकार हो रहे हैं।
आखिर कब कोरोना से निजात
लंबे समय से चले आ रहे कोरोना अभी और अपना प्रकोप दिखा सकता है। वैक्सीन 100 फीसदी तो कारगार नहीं लेकिन इसने कोरोना से लोगों को काफी हद तक बचाया है। जिस तरह लगातार ब्रेकथ्रू (Breakthrough Infection) के मामले सामने आ रहे लगता दुनिया की कोरोना से लड़ाई लंबी चलने वाली है।
ब्रेकथ्रू का सबसे बड़ा कारण डेल्टा वेरिएंट
INSACOG (Indian SARS-CoV-2 Genomic Consortia) के मुताबिक, ब्रेकथ्रू के मामलों में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण है, कोरोना का डेल्टा वैरिएंट। जिसने ब्रेकथ्रू के मामलों में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि वैक्सीन कोरोना से बचाव में असरदार रही है लेकिन, यह 100 फीस दी काम नहीं करती। आज भारत के साथ साथ दुनियाभर में डेल्टा वैरिएंट का प्रकोप देखने को मिल रहा है।
क्या ये दूसरों में फैल सकता है
INSACOG की रिपोर्ट के अनुसार जो लोग वैक्सीनेशन के बाबजूद भी अगर कोई व्यक्ति संक्रमित होता है तो वह और वह दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है। जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी है उनको भी मास्क पहनना अनिवार्य है।
क्या है ब्रेकथ्रू का इलाज
अगर कोई व्यक्ति वैक्सीनेशन के बाद भी संक्रमित हो जाता है तो उसको कोरोना के सभी नियमों का पालन करते हुए खुद को 10 दिनों के लिए होम आइसोलेट करलेना चाहिए। और जब तक उसे 24 घंटे तक बुखार नहीं आता है और दूसरे लक्षणों में सुधार नहीं होता तब तक अलग रहना चाहिए। जिस व्यक्ति में लक्षण मौजूद नहीं है और वो पॉजिटिव है उसे भी खुद को 10 दिन के लिए आइसोलेट करना जरुरी है।
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