108 पूर्व नौकरशाहों की चिट्ठी के जवाब में 197 बुद्धिजीवियों का पीएम मोदी को खुला खत

हम इस बात से चिंतित नागरिकों के रूप में,स्वयंभू संवैधानिक आचरण समूह द्वारा PM Modi को लिखी गई खुली चिट्ठी का बिल्कुल भी समर्थन नहीं करते हैं।

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PM On Kaali Movie Controversy
PM On Kaali Movie Controversy

देश में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव को लेकर 108 पूर्व नौकरशाहों की खुली चिट्ठी (letter) के जवाब में अब 197 प्रबुद्ध लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नाम खुला पत्र (Open letter) लिख दिया है। इसमें शामिल आठ पूर्व जज, 97 पूर्व नौकरशाह और 92 सेना के पूर्व अफ़सर शामिल हैं। इस मामले में लोगों ने देश में कथित तौर पर फैल रही नफरत की राजनीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को एक खुला पत्र लिखने वाले पूर्व नौकरशाहों के इरादों पर सवाल उठा दिए हैं।

197 हस्ताक्षरकर्ताओं ने पीएम मोदी को लिखे पत्र

पीएम मोदी को लिखे पत्र लेकर 197 हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा है कि हम इस बात से चिंतित नागरिकों के रूप में, एक स्वयंभू संवैधानिक आचरण समूह (CCG) द्वारा PM Modi को लिखी गई खुली चिट्ठी का बिल्कुल भी समर्थन नहीं करते हैं। उस चिट्ठी में नफरत की राजनीति ख़त्म करने के लिए कहा गया है।

बुद्धिजीवियों ने लगाया आरोप 

इस दूसरी लिखी गई नई चिट्ठी में बुद्धिजीवियों ने सीधा आरोप लगाया है जिसमे यह उच्च स्तर के नागरिकों के रूप में खुद की तरफ ध्यान आकर्षित कराने के उद्देश्य से बार-बार किया गया एक प्रयास है। उस चिट्ठी में लिखा है सच्चाई यह है कि वास्तविकता कुछ और ही है, मोदी सरकार का विरोध करने का एक राजनीतिक अभ्यास है, यह सब एक समूह द्वारा किया जाने वाला काम है।

आगे चिट्ठी में कहा गया है कि उन्हें विश्वास है कि सत्तारूढ़ व्यवस्था पूर्व नौकरशाहों की भावनाओं की अपेक्षा जन भावना को स्थान देने में सक्षम है। इसके साथ ही हस्ताक्षरकर्ताओं ने पूर्व सिविल सेवकों (Civil Servants) के खुले पत्र को “खाली पुण्य संकेत” करार दे दिया है और कहा है कि “वे वास्तव में नफरत की राजनीति को हवा दे रहे हैं और अपने पेटेंट पूर्वाग्रहों और झूठे चित्रण के साथ वर्तमान सरकार के खिलाफ नफरत पैदा करने का प्रयास करके मुकाबला करना चाह रहे हैं।

ताजा पत्र में 197 बुद्धिजीवियों (Intellectuals) ने 108 पूर्व नौकरशाहों पर पश्चिम बंगाल (West Bengal) में चुनाव बाद हिंसा और देश के कुछ हिस्सों में हालिया रामनवमी और हनुमान जयंती के जुलूसों के दौरान सांप्रदायिक तनाव पर अपनी चुप्पी साधने पर भी सवाल उठाया है।

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