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ऋत्विक 30 साल के हैं. जयपुर में रहते हैं. दो साल पहले उनका काफ़ी बुरा एक्सीडेंट हुआ था. जिसके कारण उनके चेहरे पर काफ़ी चोट आ गई थी. कई सर्जरी भी हुईं. चोटें तो समय के साथ भर गईं पर एक अजीब सी दिक्कत शुरू हो गई. जब भी वो कुछ खाते, ख़ासतौर पर कुछ तीखा तो उनका पसीना बहने लगता. चेहरा लाल पड़ जाता. अब तीखा खाने पर पसीना आना काफ़ी आम है, इसलिए ऋत्विक ने पहले इतना ध्यान नहीं दिया. पर कुछ समय बाद उन्हें एहसास हुआ कि कुछ गड़बड़ है. चबाने के साथ ही उन्हें पसीना आने लगता था. उन्होंने फिर डॉक्टर को दिखाया. उनकी जांच हुई. पता चला उन्हें फ्रेज़ सिंड्रोम हो गया है. एक ऐसी कंडीशन जिसमें खाना खाने पर पसीना आने लगता है.
ऋत्विक ने फ्रेज़ सिंड्रोम का इलाज करवाया. अब वो काफ़ी बेहतर हैं. पर इससे पहले उन्होंने कभी फ्रेज़ सिंड्रोम का नाम भी नहीं सुना था. उनको लगता था तीखा खाने पर पसीना आना आम बात है. इसलिए ऋत्विक चाहते हैं कि हम फ्रेज़ सिंड्रोम पर एक एपिसोड बनाएं. ये क्या होता है, क्यों होता है, इसका इलाज क्या है, ये लोगों को बताएं. तो सबसे पहले ये जान लीजिए फ्रेज़ सिंड्रोम क्या है?
फ्रेज़ सिंड्रोम क्या है ? (What is Frey’s Syndrome)
फ्रेज़ सिंड्रोम एक बहुत ही रेयर बीमारी है.इसमें कुछ खाते वक़्त ख़ासतौर पर तीखी या खट्टी चीज़ें, चेहरे के एक हिस्से में जैसे कान के आगे और पीछे पसीना आने लगता है. फ्रेज़ सिंड्रोम में अक्सर खाते वक़्त पसीना आता है पर कुछ पेशेंट्स में स्किन लाल पड़ जाती है और असहजता महसूस होती है.आमतौर पर कुछ खाने पर थूक बनाने वाली ग्रंथियां थूक बनाती हैं.ताकि खाना अच्छे से चबाया जा सके और निगला जा सके.
फ्रेज़ सिंड्रोम में ऑटोनॉमिक नर्व्स वो तंत्रिकाएं जो शरीर के ज़रूरी अंगों को कंट्रोल करती हैं) जैसे सिंपैथेटिक नर्व्स और पैरा सिंपैथेटिक नर्व्स के बीच का कनेक्शन बिगड़ जाता है.खाना खाने पर नॉर्मल रेस्पांस थूक बनाना होता है, पर उसके बदले इस बिगड़े हुए कनेक्शन के कारण पसीना आने लगता है. कुछ भी खाने या चबाने पर चेहरे के एक हिस्से में पसीना आने लगता है.इसे फ्रेज़ सिंड्रोम कहा जाता है. तीखा खाने के बाद क्यों आता है पसीना ? फ्रेज़ सिंड्रोम पैरोटिड ग्लैंड (थूक बनाने वाली ग्रंथियां) में चोट लगने के कारण होता है. अगर पैरोटिड ग्लैंड की सर्जरी की जाए और सर्जरी के दौरान पैरोटिड ग्लैंड में मौजूद नर्व्स को नुकसान पहुंचे या उनमें चोट लग जाए तो फ्रेज़ सिंड्रोम हो जाता है.
कैसे करें इस बीमारी से बचाव ? (How to prevent frey’s syndrome)
- फ्रेज़ सिंड्रोम के कारण समझ में आ जाएं तो उनसे बचाव किया जा सकता है.
- पैरोटिड ग्लैंड (थूक बनाने वाली ग्रंथियां) की सर्जरी हो तो बेहद ध्यान देने की ज़रूरत है, वहां मौजूद नर्व्स को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.
- पैरोटिड ग्लैंड (थूक बनाने वाली ग्रंथियां) को चोट लगने से बचाना चाहिए.
क्या है इस बीमारी का इलाज ? (what is the treatment of this disease)
- कुछ ऐसी दवाइयां दे सकते हैं जिनसे पसीना निकलना कंट्रोल हो सके.
- इसके अलावा बोटुलिनम टॉक्सिन इंजेक्शन दिए जाते हैं, इनसे भी पसीना आना रुकता है.
- स्किन और पसीने की ग्रंथियों के बीच अगर एक टिश्यू (ऊतक) लगा दिया जाए तो उससे भी पसीना बहना रुक सकता है.
- फ्रेज़ सिंड्रोम एक माइनर प्रॉब्लम है.
- इसकी वजह से कोई ख़ास हेल्थ प्रॉब्लम नहीं होती है.
- पर इतना ध्यान देना है कि पैरोटिड ग्लैंड की सर्जरी हो तो नर्व्स बची रहे.
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