New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट के दौरान मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को मंजूरी दे दी है। इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन (Krishnaswamy Kasturirangan) की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले साल एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक (Ramesh Pokhriyal Nishank) को नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) का कॉन्ट्रैक्ट सौंपा था, जो अब लागू हो गया है। जिसके तहत अब एचआरडी मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
I wholeheartedly welcome the approval of the National Education Policy 2020! This was a long due and much awaited reform in the education sector, which will transform millions of lives in the times to come! #NewEducationPolicyhttps://t.co/N3PXpeuesG
— Narendra Modi (@narendramodi) July 29, 2020
नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है, अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है। इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा।
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इसके साथ ही आपको कुछ अहम मुद्दों को बारे मे बताए तो, सरकार के मुताबिक 34 सालों से शिक्षा नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ था। अब मोदी सरकार ने 21वीं सदी के हिसाब से शिक्षा नीति बनाई है। नई शिक्षा नीति में छात्रों के लिए कई अच्छे प्रावधान हैं। अगर कोई एक कोर्स के बीच में दूसरा कोर्स करना चाहे तो वो पहले कोर्स से तय समय के लिए ब्रेक ले सकता है।
अगर अब तक कोई छात्र 4 साल की इंजीनियरिंग पढ़ने के बाद या फिर 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पाता था, तो उसके पास अन्य कोई रास्ता नहीं रहता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी।
#NEP2020
Responding to the needs of present times & future, we will encourage the use & integration of #technology to improve multiple aspects of education.
Our efforts will focus on emerging technologies that can help us transform the education system & empower our educators. pic.twitter.com/MwYvv1zYOi— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 30, 2020
देश में उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक (Regulator) होगा, इसमें अप्रूवल और वित्त के लिए अलग-अलग वर्टिकल होंगे। वो नियामक ‘ऑनलाइन सेल्फ डिसक्लोजर बेस्ड ट्रांसपेरेंट सिस्टम’ पर काम करेगा। 4 साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M.A. और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा PhD कर सकते हैं। मोदी सरकार का पूरा फोकस शिक्षा पर है। जिस वजह से GDP का 6% शिक्षा में लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है, जो अभी 4.43% है।
U.S. की NSF (National Science Foundation) की तर्ज पर भारत में NRF आएगा। इसमें न केवल साइंस बल्कि सोशल साइंस भी शामिल होगा। ये बड़े प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग करेगा। ये शिक्षा के साथ रिसर्च में आगे आने में मदद करेगा। वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (NETF) बनाया जा रहा है।