New Delhi: नेशनल एजुकेशन बोर्ड (CBSE Syllabus) ने मंगलवार को कोरोनावायरस संकट के बीच 2020-21 में शिक्षा का 30% सिलेबस तक घटाने का ऐलान किया है। जानकारी है कि बोर्ड ने स्कूलों में (CBSE Syllabus) लोकतांत्रिक अधिकार, फूड सिक्योरिटी, संघवाद, नागरिकता और निरपेक्षवाद जैसे अहम चैप्टर हटा दिए हैं। शिक्षा संस्थानों से जुड़े और इन विषयों के कई जानकारों और विशेषज्ञों ने बोर्ड के इस कदम का विरोध किया है।
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सिलेबस घटाने (CBSE Syllabus) के फैसले के साथ ही दूसरी मुश्किलें सामने आ रही हैं। आशंका ये जताई जा रही है कि सिलेबस से प्रमुख चैप्टर को निकालने से प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए वर्तमान बैच की तैयारी प्रभावित हो सकती है।
इसके लिए NCERT और CBSE बोर्ड के विशेषज्ञों की एक कमेटी ने पाठ्यक्रम में कटौती का खाका तैयार किया और उसके बाद कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए यह फैसला लिया गया। वहीं, 8वीं तक की कक्षाओं के लिए CBSE ने स्कूलों को खुद सिलेबस तैयार करने को कहा है।
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मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने CBSE से देश और दुनिया में चल रही असाधारण स्थिति को ध्यान में रखते हुए सेलेबस को संशोधित करने के लिए कहा गया था। इसके बाद ही सीबीएसई ने ये फैसला लिया है। महामारी के दौरान हुए नुकसान के लिए भी दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सभी ग्रेड के लिए पहले यही सुझाव दिया था।
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CBSE ने मंगलवार को सिलेबस को बदलने के संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया था। इस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि कोविड 19 महामारी की वजह से क्लासरूम टीचिंग के हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। नोटिस में यह भी कहा गया है कि स्कूल हेड्स और शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिन विषयों को हटा दिया गया है, उन्हें भी छात्रों को समझाया जाए ताकि इस जानकारी का उपयोग अन्य विषयों से जुड़ने के लिए किया जा सके