‘भारत’ से ‘इंडिया’ तक का सफर ! कैसे भारत से बना इंडिया, जानिए क्‍या है इसके पीछे की कहानी ?

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Indian Name History

Indian Name History: भारत देश के इतिहास को देखा जाए तो इसके पुराने से समय से अब तक इसको कई नामों से जाना जाता है। अक्‍सर देश में भारत, हिन्‍दुस्‍तान या इंडिया इस बात को लेकर लोग आपस में बहस करने लगते हैं। कई लोग देश के नाम को लेकर अलग-अलग राय भी रखते हैं। लेकिन क्‍या कभी आपने सोचा है कि आखिर भारत को इंडिया क्‍यों कहा गया और किस तरह भारत का नाम इंडिया पड़ा। इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी छिपी हुई है। आइए जानते इसके पीछे की दिलचस्प कहानी-

किसके नाम है रखा गया भारत

कुछ लोग मानते हैं कि भारत या भारतवर्ष, देश का असली नाम है। कहते हैं कि देश का नाम भरत राजवंश के नाम पड़ा था। महान राजा भरत जो कि राजा दुष्‍यंत और रानी शकुंतला के पुत्र थे। उन्‍हें इस राजवंश को शुरू करने वाला भी कहा जाता है। राजा भरत को भारत का सबसे पहला राजा कहा जाता है ऐसी मान्यता है। इसलिए कई इतिहासकार इस बात पर यकीन भी करते हैं कि भारत देश का नाम इस शक्तिशाली राजा के नाम पर रखा गया था।

जानिए 17वीं सदी के इतिहास को

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि भारत के लिए इंडिया शब्‍द की उत्पत्ति ग्रीक से लैटिन भाषा में बदले शब्‍द इंडिका से हुई है। अंग्रेजों ने सबसे पहले इंडिया की जगह इंडी Indie शब्द का प्रयोग किया था। उन्‍होंने शुरुआती दिनों में फ्रेंच भाषा के प्रभाव के चलते ऐसा किया था, लेकिन 17वीं सदी में ब्रिटिश सरकार ने इंडिया को स्‍वीकार कर लिया और फिर इस नाम को ज़बरदस्ती लागू कर दिया। अंग्रेज धीरे-धीरे भारत पर कब्‍जा कर रहे थे और नाम बदल रहे थे। उन्‍होंने यहां पर कॉलोनियल दौर में इंडिया शब्‍द का बहुत इस्तेमाल किया। इस वजह से कुछ लोग आज तक यही मानते हैं कि इंडिया शब्‍द गुलामी का प्रतीक है।

भारत से इंडिया

कुछ लोगों की ऐसी भी मान्यता है कि इंडिया शब्‍द सिंधु घाटी सभ्‍यता (Indus Valley Civilization) से जुड़ा है। इसे अंग्रेजी में इंडस वैली के तौर पर जाना जाता था। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इंडस शब्‍द को ही ठीक करके इंडिया बना और फिर इसे इंडिया ही कहा जाने लगा। कुछ लोग मानते हैं कि जब अंग्रेज भारत में आए उस समय हमारे देश को हिन्दुस्तान कहा जाता था और हिंदुस्तान बोलने में उन्हें काफी दिक्कत होती थी। फिर अंग्रेज़ों को मालूम पड़ा की इस शब्द क लैटिन भाषा में इंडिया कहा जाता है तो उन्होंने भारत को इंडिया (India) कहना शुरू कर दिया। अंग्रेजों के शासनकाल में इंडिया नाम बहुत ही प्रसिद्ध है और हमारा देश दुनिया में इसी नाम से जाना जाने लगा।

इंडिया नाम से पहले जमकर हुई बहस

सन् 1947 में भारत को आजादी मिली और सन् 1949 में देश का संविधान बनकर तैयार हुआ। 17 सितंबर 1949 को संघ के नाम और राज्यों पर चर्चा ने ज़ोर पकड़ा। संविधान (Constitution) की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर चाहते थे कि इसको आधे घंटे में स्वीकार कर लिया जाए। लेकिन दूसरे सदस्यों में नाम को लेकर सहमति नहीं बनी थी क्योंकि वे चाहते थे कि इंडिया और भारत जैसे शब्दों के रिश्तों को समझ लिया जाए। इस पर काफी बहस हुई और बहस में सेठ गोविंद दास, कमलापति त्रिपाठी, श्रीराम सहाय, हरगोविंद पंत और हरि विष्णु कामथ जैसे नेताओं मौजूद थे। हरि विष्णु कामथ ने सुझाव दिया कि इंडिया अर्थात् भारत को भारत या फिर इंडिया में बदलना चाहिए।

कैसे स्‍वीकार हुआ भारत का नाम इंडिया

बहस के बाद सेठ गोविंद दास ने भारत के ऐतिहासिक संदर्भ का हवाला देते हुए देश का नाम सिर्फ भारत रखने पर ज़ोर दिया। इस पर बीच का रास्ता कमलापति त्रिपाठी ने निकाला। उन्होंने कहा कि इसका नाम इंडिया अर्थात् भारत की जगह भारत अर्थात् इंडिया होना चाहिए। हरगोविंद पंत ने अपनी राय रखते हुए कहा कि इसका नाम भारतवर्ष रखा जाए कुछ और नहीं। पूरी बहस का कोई नतीजा नहीं निकला जिसके बाद विदेशों से संबंधों का हवाला और देश में सबको एक सूत्र में जोड़ने की कोशिश करते हुए संविधान के अनुच्छेद एक में लिखा गया कि इंडिया अर्थात् भारत राज्यों का संघ होगा। इस पूरी घटना के बाद से देश को इंडिया और यहाँ के लोगों को इंडियन कहा जाने लगा।

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