जिंदगी जीने का अलग अंदाज, काफी कुछ कहती है ‘संध्या’ की कहानी

कभी-कभी हमे अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेना चाहिए, अगर ऐसा नहीं किया तो कोई और ले लेगा। इसके बाद आपको पछताना पड़ सकता है।

0
745
Pagglait Reviews
कभी-कभी हमे अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेना चाहिए, अगर ऐसा नहीं किया तो कोई और ले लेगा। इसके बाद आपको पछताना पड़ सकता है।

Mumbai: कभी-कभी हमे अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेना (Pagglait Reviews) चाहिए, अगर ऐसा नहीं किया तो कोई और ले लेगा। इसके बाद आपको पछताना पड़ सकता है। ऐसी ही एक कहानी ‘पगलैट’ में देखने को मिली है। ये कहानी बेहद दिलचस्प है। बदलते पारिवारिक-सामाजिक मूल्यों के बीच पगलैट (Pagglait Reviews) आईना दिखाने का काम करती है। 

बॉलीवुड पर फिर कोरोना का खतरा! इस फिल्म की रिलीज टली

ये फिल्म उमेश बिष्ट (Umesh Bisht) की बनाई हुई है जो सूरज पंचोली की फिल्म ‘हीरो’ के लेखक है। और सम्राट को लेकर ‘ओ त्तेरी’ भी बनाई है। बता दें फिल्म ‘राम प्रसाद की तेरहवी’ और ‘पगलैट’ दोनों का आधार एक ही है, मनुष्य की आत्मा के धरतीलोक से स्वर्गलोक की यात्रा के बीच का 13 दिन का पड़ाव। इन 13 दिनों में रिश्तेदारों और घर परिवार वालों की संगत से रिश्तों की जो नई बातें सामने आती है, दोनों फिल्मों की कहानियों का असल जिंदगी बता देती है।

ज्यादातर रिश्तों की यही हकीकत है। जिसे लेखक और निर्देशक उमेश विष्ट (Umesh Bisht) ने बखुवी पर्दे पर उतारा है। दरअसल, संध्या की शादी को पांच महीने हुए हैं और उसके पति की मौत हो गई है। लेकिन संध्या को इससे ज्यादा दुख उसकी बिल्ली के मरने से हुआ था। संध्या अंग्रेजी से एमए है लेकिन काम नहीं कर रही। 

Amir की बेटी Ira ने निकाली वैकेंसी, इतने लोगों की हैं जरूरत

आस्तिक घर का इकलौता कमाऊ (Pagglait Reviews) लड़का था। उसके जाने के बाद के खर्चे बढ़ गए थे। बाप के आंख में आंसू हैं लेकिन अपनी आदतों से बाज नहीं आते। लड़कों को छुप छुपकर सिगरेट पीने से टोकने वाले ताऊजी खुद अद्धा लेकर अंटिया पर टंगे हुए हैं। बीवी पति से ज्यादा ‘गुरुजी’ की मानती है। दादी की मुस्कुराहट का राज यही है कि वे सुनती किसी की नहीं हैं। विधवा भाभी पर लाइन मारने वाले देवर भी कहानी की कतरनों की तरह कहीं पड़े मिलते हैं।

इस फिल्म में एकमात्र मुस्लिम किरदार नाजिया आम धारणाओं (Pagglait Reviews) को तोड़ती है। वह मांसाहारी नहीं है और हवन में आहुति भी डालती है। वह संध्या के हिंदू परिवार में आराम से रहती है और इस बात का बुरा नहीं मानती कि उसे बाहर भेज कर भोजन कराया जाता है, चाय के लिए उसका कप सबसे अलग है। फिल्म में उमेश कई स्तरों पर बात करते हैं और तमाम मामलों को कभी हल्के-फुल्के-कॉमिक अंदाज में तो कभी गंभीरता से कह जाते हैं। 

मनोरंजन से जुड़ी अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें Entertainment News in Hindi 


देश और दुनिया से जुड़ी Hindi News की ताज़ा खबरों के लिए यहाँ क्लिक करें. Youtube Channel यहाँ सब्सक्राइब करें। सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Page लाइक करें, Twitter पर फॉलो करें और Android App डाउनलोड करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here