नई दिल्ली: वेदों में गायत्री मंत्र का बहुत महत्व है। वेदों के अनुसार दिन में तीन बार गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे मन में शांति और विचारों में शुद्धता आती है। इतना ही नहीं दिनभर की जितनी भी नकारात्मक ऊर्जा होती है, वह गायत्री मंत्र के जाप से दूर हो जाती है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मंत्र – ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।
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गायत्री मंत्र के जाप करने के दौरान कुछ नियम बताए गए हैं, जिनको करने से इस मंत्र के जाप का दोगुना फल मिलता है। चलिए जानते हैं कौन-से हैं ये नियम-
गायत्री मंत्र का जाप नहा धोकर स्वच्छ कपड़े पहनकर ही करना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन में शांति का अनुभव होता है। गायत्री मंत्र का जाप करते समय सही स्थिति में बैठना चाहिए।
जमीन पर आसन बिछाकर पालथी मारकर कमर सीधी करके ही गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। गायत्री मंत्र का जप सूर्योदय से लगभग दो घंटे पूर्व और सूर्यास्त से एक घंटे बाद तक किया जा सकता है।
गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करने के लिए मानकों की माला का जाप कर सकते हैं। ये माला रुद्राक्ष की भी हो सकती है। इस मंत्र को जल्दी -जल्दी नहीं पढ़ना चाहिए। इसके सही अर्थ को समझकर ही उच्चारण करना चाहिए।