Uttar Pradesh: बावनखेड़ी केस में नया मोड़ सामने आया है। प्रेमी सलीम के साथ मिलकर परिवार के सात लोगों को मौत के घाट उतारने वाली शबनम (Shabnam Murder Case) के लिए आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खान की तरफ से जल्लाद से फांसी दिलाए जाने को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में केस दर्ज किया था। केस दर्ज करने के 24 घंटे के अंदर आयोग ने इस मामले को खारिज कर दिया है। और कहा कि ये मामला न्यायिक प्रक्रिया के अंदर आता है।
बदमाश मुकीम और मेराजुद्दीन की हत्या, पुलिस एनकाउंटर में बदमाश ठेर
क्या है मामला
उत्तर प्रदेश के अमरोहा डिस्ट्रिक्ट के बावनखेड़ी गांव (Shabnam Murder Case) में 14 अप्रैल, 2008 की रात शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने परिवार के सात लोगों को कुल्हाड़ी से मारकर हत्य कर दी। शबनम के मां-बाप, उसके दो भाई, एक भाभी, एक मौसी की बेटी और शबनम का एक भतीजा यानी एक छोटा बच्चा भी शामिल था। यानी एक बच्चे को मारने से पहले शबनम के हाथ नहीं कापे।
कौन है अंशु दीक्षित, मुकीम काला और मेराजुद्दीन? पढ़े चित्रकूट जेल की कहानी
कब क्या-क्या हुआ
- अमरोहा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 2010 में ही सलीम-शबनम को फांसी की सजा सुना दी थी। इस फैसले को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने इस सजा को जारी रखा
- 2015 में ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और फिर सुनवाई हुई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को नहीं बदला
- 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी शबनम की दया याचिका को खारिज कर दिया
- 2019 में सुप्रीम कोर्ट से शबनम की फांसी की पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो गई
- शबनम ने वकीलों के जरिए फिर प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद को दया याचिका भेजी, लेकिन याचिका ठुकरा दी
- 2021 में उसके बेटे ने भी राष्ट्रपति से अपील की थी कि उसकी मां शबनम को माफ कर दिया जाए
- 19, 2021 फरवरी को शबनम के वकीलों ने एक बार फिर दया याचिका राज्यपाल को भेजी थी
क्राइम से जुड़ी अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें Crime News in Hindi
देश और दुनिया से जुड़ी Hindi News की ताज़ा खबरों के लिए यहाँ क्लिक करें. Youtube Channel यहाँ सब्सक्राइब करें। सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Page लाइक करें, Twitter पर फॉलो करें और Android App डाउनलोड करें.