Prayagraj. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के प्रयागराज (Prayagraj) में बाघंबरी मठ के भारतीय अखाड़ा परिषद् के महंत नरेंद्र गिरी (Narendra Giri) हमारे बीच नहीं है क्योंकि उनकी संग्दिध परिस्थिति में मौत हो गयी थी। लेकिन उनकी मौत एक आत्महत्या थी या मर्डर ? उनकी मौत की गुत्थी अभी भी उलझी हुई नज़र आ रही है। क्योंकि कुछ भी पता नहीं लग पाया है की आखिर क्यों उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा ? इसी के दौरान एक और सवाल सामने उभर कर आ रहा है की कहीं महंत नरेंद्र गिरी की मौत कहीं मुलाकाती तो बनकर नहीं आया ?
आखिर कौन था वो मुलाकाती ?
मौत से पहले महंत नरेंद्र गिरी को एक आगंतुक के आने का इंतजार था. आगंतुक से मिलने के लिए महंत अपने निजी कक्ष की पहली मंजिल से नीचे आगंतुक कक्ष में पहुंचे थे. आखिर कौन था वो मुलाकाती? कब और कहां से मठ में प्रवेश किया? क्या नरेंद्र गिरी की मौत बनकर आया मुलाकाती ? इस रहस्यमय घटना को खोलना अब एक चुनौती बन गया है।
महंत नरेंद्र गिरि की संदेहास्पद मौत 20 सितंबर को दिन में 12:30 से शाम पांच बजे के बीच किसी समय हुई सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक. आखिरी सीसीटीवी फुटेज मठ से उनके कक्ष की में दिन के 12:24 बजे सीढ़ियों से उतरते दिखाई दिए थे. मठ के मुंशी सर्वेश तिवारी उर्फ बब्लू ने शाम पांच बजे के बाद दरवाजा तोड़कर महंत के गले में कसी नायलॉन की रस्सी का फंदा काटकर शव नीचे उतारने का दावा किया है साथ ही उनका यह भी कहना है उस दिन महंत की आखिरी बात दिन में करीब एक बजे फोन पर हुई थी।
मौत को आत्महत्या में बदलने में साज़िश ?
बता दें की मौत से पहले शाम महंत नरेंद्र गिरी की मुंशी से फ़ोन पर बात भी हुई थी। और यही नहीं सेवादार और कर्मी भी उनसे दूर थे ?क्यों उस कक्ष में चाय पहुंचाने की जरूरत महसूस की गई। कहीं महंत की मौत को आत्महत्या में बदलने की साज़िश तो नहीं की जा रही है ?
दरअसल महंत की उनके कर्मी से आखिरी बार बात भी हुई थी जब उनके कक्ष में बिजली चली गई थी। उस दिन 12:16 से 12:58 बजे तक मठ में बिजली नहीं थी। बब्लू के मुताबिक उसने महंत को बताया था कि महाराज बिजली आ गई है।
मौत के दिन ही मिलने आने वाले थे एक शख्स
महंत की मौत के दिन मिलने के लिए आने वाले के बारे में एक और कहानी सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि इस मुलाकाती के आने की सूचना मठ के ही किसी करीबी ने उनको दी थी, जिससे महंत मिलना चाहते थे। उस मुलाकाती के आने की झूठी सूचना देकर महंत को उस कमरे तक लाए जाने की भी चर्चा है।
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