केंद्र की मोदी सरकार को एक के बाद एक झटका लग रहा है। हाल ही में आए जीडीपी के आंकड़ों ने पहले मोदी सरकार को झटका दिया, अब दूसरी बुरी खबर भारतीय रेलवे से आ गई है।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरूआत में कहा था, हम 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी कर देंगे, लेकिल हाल ही में आए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार ये लक्ष्य 14 साल दूर दिखाई दे रहा है।
वहीं अब इंडियन रेलवे से भी बुरी खबर है। दरअसल, बुलेट ट्रेन लाने की तैयारी में जुटी मोदी सरकार के लिए रेलवे के गिरते व्यवसाय की खबर वास्तव में झटका देने वाली है। बता दें कि भारतीय रेल इस वक्त बीते 10 सालों में सबसे बुरे दौर में है। ये बात हम नहीं कह रहे हैं, इसकी तस्दीक नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने की है।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेलवे की कमाई पिछले दस सालों में सबसे नीचे स्तर पर पहुंच चुकी है। रेलवे का परिचालन अनुपात वित्त वर्ष साल 2017-18 में 98.44 फीसदी तक पहुंच गया है।
कैग के आंकड़ों पर विश्लेषण करें, तो रेलवे 98 रुपये 44 पैसे लगाकर सिर्फ 100 रुपये कमा रही है। इसका मतलब है कि रेलवे को सिर्फ एक रुपये 56 पैसे का लाभ है। व्यापारिक दृष्टिकोण से ये बेहद बुरी स्थिति कही जा सकती है। सरल भाषा में समझें तो रेलवे अपने तमाम संसाधनों से 2 फीसदी पैसे से कम कमा पा रही है।
कैग के मुताबिक घाटे का मुख्य कारण उच्च वृद्धि दर (High growth rate) है। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2017-18 के वित्तीय वर्ष में 7.63 फीसदी संचालन व्यय की तुलना में उच्च वृद्धि दर 10.29 फीसदी था।
कैग के आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2008-09 में रेलवे का परिचालन अनुपात 90.48 फीसदी 2009-10 में 95.28 फीसदी, 2010-11 में 94.59 फीसदी, 2011-12 में 94.85 फीसदी, 2012-13 में 90.19 फीसदी 2013-14 में 93.6 फीसदी, 2014-15 में 91.25 फीसदी, 2015-16 में 90.49 फीसदी, 2016-17 में 96.5 फीसदी और 2017-18 में 98.44 फीसदी तक पहुंच चुका है।
कैग ने रेलवे की खराब हालत के पिछले दो सालों में आईबीआर-आईएफ के तहत जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल नहीं होना भी बताया है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि रेलवे को बाजार से मिले फंड का पूरी तरह इस्तेमाल सुनिश्चित करना चाहिए।
कैग ने रेलवे के राजस्व को बढाने के उपाय भी सुझाए हैं। कैग की तरफ से कहा गया है कि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता को कम किया जाना चाहिए। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के दौरान रेल के पूंजीगत व्यय में कटौती की भी सिफारिश भी की गई है।