मोदी सरकार के 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को लगा झटका, GDP के आकड़े चिंताजनक…

जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के हाल ही में नए आंकड़े आए हैं। जुलाई-सितंबर तिमाही के आंकड़े हैं 4.5 प्रतिशत। इसका मतलब है कि जुलाई-सितंबर, 2019 की तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट पिछले 6 सालों में सबसे कम रही है।

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Nirmala Sitharaman

 

पत्रकार : महेश कुमार यदुवंशी

जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के हाल ही में नए आंकड़े आए हैं। जुलाई-सितंबर तिमाही के आंकड़े हैं 4.5 प्रतिशत। इसका मतलब है कि जुलाई-सितंबर, 2019 की तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट पिछले 6 सालों में सबसे कम रही है।

जीडीपी के इन अधिकारिक आंकड़ों के आने से नरेंद्र मोदी सरकार का 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का दावा खोखला साबित होता नजर आ रहा है।

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुराआत में पीएम पद के शपथ ग्रहण के बाद कहा था कि हम देश की अर्थव्यवस्था को 5 साल में 5 ट्रिलियन डॉलर कर देंगे।

बता दें कि देश अर्थव्यवस्था के लिहाज से जीडीपी के ताजा आकड़ें बेहद चिंताजनक हैं। जिस प्रकार से ‘आर्थिक वृद्धि’ में लगातार गिरावट जारी है, उससे पीएम मोदी का ये संकल्प 5 साल में पूरा कर पाना संभव नहीं है।

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चालू वित्त वर्ष की जीडीपी दर-

विनिर्माण (Manufacturing) क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर रह गई है। मालूम हो कि ये 6 साल का न्यूनतम ( minimum Level) स्तर है।

कब होगी 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था …

गौर करें, विकास दर के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य 9 साल दूर है। अगर जीडीपी विकास दर 4.5% रही तो भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी गति से विकसित होगी।

उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने वादा किया है कि 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी, लेकिन अगर GDP विकास दर 4.5% रहेगी तो यह लक्ष्य पाने में 14 साल का वक्त लगेगा।

आर्थिक वृद्धि दर में आई गिरावट-

याद दिला दें कि एक साल पहले 2018-19 की इसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर का आंकड़ा 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद से सबसे कम है। 2012-13 की जनवरी-मार्च तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत रही थी।

आधिकारिक आंकड़े-

बता दें कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी जीडीपी आंकड़ों के अनुसार सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत रही। वर्ष 2018-19 की इसी तिमाही में यह 6.9 प्रतिशत थी। दूसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए के आधार पर उत्पादन एक प्रतिशत गिरा है।

अगर कृषि क्षेत्र की बात करें तो जीवीए की वृद्धि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कमजोर होकर 2.1 प्रतिशत रही। जो एक साल पहले इसी तिमाही में 4.9 प्रतिशत थी।

निर्माण क्षेत्र की जीवीए वृद्धि दर आलोच्य तिमाही में 3.3 प्रतिशत रही। यही एक साल पहले 2018-19 की दूसरी तिमाही में 8.5 प्रतिशत थी। खनन क्षेत्र में वृद्धि 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 2.2 प्रतिशत की गिरावट आई थी।

विकास दर के आंकड़ों पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान-

विकास दर के आंकड़ों को स्वीकार करते हुए देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को राज्यसभा में कहा, देश की विकास दर में कमी ज़रूर आई है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि अर्थव्यवस्था में मंदी है।

सीतारमण ने कहा , 2009-2014 के अंत में भारत की वास्तविक GDP (Gross Domestic Product) की वृद्धि दर 6.4 फ़ीसद थी, जबकि 2014 से 2019 के बीच यह 7.5 फीसदी रही। आगे उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को देखें तो पता चलता है कि विकास दर में कमी है, लेकिन यह मंदी नहीं है।

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मौजदा आर्थिक हालातों को मंदी नहीं मान रही हैं, ऐसे में सवाल उठता है तो फिर आखिरकार मंदी है क्या ? आइए जानते हैं…

मंदी-  जानकारों के मुताबिक,  तकनीकी तौर पर मंदी उसे कहते हैं, जब नेगेटिव ग्रोथ रेट दो तिमाही तक रहे। जैसे अभी ग्रोथ रेट 4 से 5 फ़ीसदी के क़रीब है। अगर ये नेगेटिव 1 हो जाए और दो तिमाही तक रहे तो इसे मंदी कहा जाएगा।

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