New Delhi: कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान बैंकों की ओर से दिए गए लोन मोरेटोरियम (Moratorium) को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में फिर से सुनवाई शुरू होगी। इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मामला (Loan EMI) खत्म होने तक किसी भी खाते को NPA घोषित नहीं करने का आदेश दिया था। हालांकि कोर्ट का ये आदेश फाइनल नहीं बल्कि अंतरिम था।
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सुप्रीम कोर्ट आज मोरेटोरियम (Loan EMI) के दौरान बैंकों की ओर से ब्याज पर ब्याज वसूलने को लेकर सुनवाई करेगा। बता दें कि कोविड-19 महामारी के बीच सामान्य कारोबारी गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित होने की वजह से रिजर्व बैंक ने कंपनियों तथा व्यक्तिगत लोगों को राहत देते हुये लोन की किस्तों के भुगतान पर एक मार्च से छह महीने के लिए छूट दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) से कंपाउंड इंटरेस्ट और मोरेटोरियमे के दौरान पीनल इंटरेस्ट लगाने पर भी जवाब मांगा है। आपको बता दें कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लोन चुकाने में मिली मोहलत की अवधि यानि मोरेटोरियम को 2 साल तक बढ़ा सकती है। अगर सुप्रीम कोर्ट सरकार के इस प्रस्ताव को मान लेती है, तो कर्जदारों को कम से कम 2 साल तक लोन चुकाने से राहत मिल सकती है।
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सरकार की ओर से दी गई मोरेटोरियम की अवधि 31 अगस्त को खत्म हो चुकी है। उसके बाद अब रिजर्व बैंक ने लोन की वन टाइम रीस्ट्रक्चरिंग की बात कही है। वहीं कई बैंक जैसे एचडीएफसी लिमिटेड, कोटक महिंद्रा बैंक ने रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास से आग्रह किया है कि इस सुविधा को आगे नहीं बढ़ाया जाए, क्योंकि बहुत से लोग इसका अनुचित फायदा उठा रहे हैं।