Uttarakhand Jaggery Crusher: सावधान ! गुड़ बनाने वाले कोल्हू बन रहे जानलेवा, अगर गुड़ खाया तो हो जाएगी बीमारी, Video

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Sugercane Crusher
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Uttarakhand Jaggery Crusher: सर्दी का आगमन हो गया है। अब सुबह शाम ठंड महसूस होने लगी है। ऐसे में अब कोल्हुओं में गुड़ बनाने का काम शुरू हो गया है। इन कोल्हुओं में गन्ने के रस को पकाने के लिए ईंधन की जगह प्लास्टिक और रबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे वातावरण दूषित हो रहा है।

प्लास्टिक और रबर से हो रहा वातावरण प्रदूषित

वातावरण प्रदूषित होने से लोगों की जान पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हालांकि कोल्हू स्वामियों के पास गन्ने की पिराई के बाद निकलने वाली खोई ईंधन का बेहतर विकल्प है, लेकिन उसे सुखाने के झंझट से बचने के लिए और महंगे दामों में बेचने के लिए प्लास्टिक और रबर का इस्तेमाल किया जा रहा है।

कोल्हुओं से निकल रहा जहरीला धुंआ

कोल्हुओं से निकलने वाला काला धुंआ आसपास के लोगों को बीमार बना रहा है और जिम्मेदार अधिकारी इससे सीख लेने को तैयार नहीं हैं। अगर सीख ली होती, तो इन कोल्हुओं पर अब तक कार्रवाई हो चुकी होती। उत्तराखंड के रुड़की क्षेत्र के इकबालपुर, लंढौरा, झबरेड़ा, भारापुर आदि जगहों पर सैकड़ों गन्ना कोल्हू संचालित हो रहे है। इन कोल्हुओं पर ईंधन की जगह प्लास्टिक, रबड़, कूड़ा कचरा आदि का इस्तेमाल वातावरण को दूषित कर रहा है।

स्थानीय प्रदूषण बोर्ड अनजान

जानकारी के लिए बता दे कि, आसपास के लोग इस जहरीली गैस से परेशान है और संबंधित अधिकारियों की तरफ आस भरी निगाहों से देख रहे हैं। स्थानीय प्रदूषण बोर्ड इस गम्भीर समस्या से अनजान बनने का ढोंग रच रहा है। जो लोगों की सेहत से सरेआम खिलवाड़ है। नियमों को ताख पर तखकर गन्ना कोल्हू खुलेआम प्रशासन को ठेंगा दिखा रहे है।

बताया जा रहा है कि, गन्ने की खोई जिसे ईंधन में इस्तेमाल किया जाना चाहिए उसे मोटे मुनाफे के चक्कर में कुछ कथित ठेकेदार कोल्हुओं पर रबड़, प्लास्टिक कूड़ा करकट का इस्तेमाल करा रहे हैं। एनजीटी ने प्लास्टिक और रबर जलाने पर प्रतिबंध लगाया है।

NGT ने लगा रखा प्रतिबंध

एनजीटी की ओर से वर्ष 2013 में प्लास्टिक, रबर या ऐसे सामान को खुले में अनियमित रूप से जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। एनजीटी की इस रोक के बाद भी कस्बों और देहातों में संचालित होने वाले गन्ना कोल्हुओं पर खुलेआम रबड़, प्लास्टिक और कूड़े को जलाया जा रहा है, जो अधिकारियों के दावों की सच्चाई बयां कर रहा है।

 

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