Dengue Medicine: मौसम के करवट बदलने के साथ ही संचारी बीमारी भी तेजी से फैलनी शुरू हो गई है। सर्दियों के मौसम में जितनी तरह के बुखार होते है, मलेरिया इनमें प्रमुखता से शामिल है। अब मलेरिया को सिर्फ बारिश के दिनों में फैलने वाला बुखार नहीं माना जा सकता है। शरद ऋतु में मलेरिया के केस पुराने समय से ही बहुत अधिक बढ़ते रहे हैं और इस ऋतु में होने वाला मलेरिया सिर्फ मच्छरों के कारण नहीं बल्कि पित्त बढ़ने के कारण भी होता है।
6 महीने तक बचाएगी ये दवाई ?
दरअसल, अफ्रीकी देश माली के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवाई तैयार की है,जिसकी एक डोज लेने के बाद अगले 6 महीने तक मलेरिया का वायरस व्यक्ति के शरीर में ऐक्टिव नहीं हो पाएगा।
- यह तो ज्यादातर लोग जानते है कि मलेरिया फीमेल एनोफेलेस (Female Anopheles) मच्छर के काटने से होता है। वो भी उन फीमेल मच्छरों के काटने से जो प्लाज्मोडियम वीवेक्स नामक वायरस से संक्रमित होते हैं।
- इस मच्छर में पाया जाने वाला वायरस उन लोगों के शरीर में संक्रमण का प्रसार नहीं कर पाएगा, जिन लोगों को माली की बामको यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार इस दवाई की एक डोज दी जा चुकी होगी।
- इस दवाई पर रिसर्च हो चुकी है और परीक्षण भी हो चुका है। माली की बामको यूनिवर्सिटी ऑफ साइंसेज, टेक्नीक्स ऐंड टेक्नोलजी के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस दवाई के माध्यम से लोगों के शरीर में मलेरिया से लड़ने वाली एंटिबॉडीज डाली जाती हैं। ये शरीर के अंदर करीब 6 महीने तक प्रभावी रहती है।
- जो व्यक्ति एंटिबॉडीज युक्त मलेरिया की इस दवाई का सेवन कर लेता है, उसे यदि मलेरिया का मच्छर काट लेता है तो शरीर में पहले से मौजूद ऐंटिबॉडीज इस वायरस को मार देती हैं। इसके लिए शरीर को ऐंटिबॉडीज बनाने की जरूरत नहीं पड़ती है।